हैदराबाद निजाम का नाम पिछले दिनों ग्रेटर हैदराबाद म्युनिशपल कारपोरेशन के चुनावों में बार बार चर्चा में आया. सातवें निजाम उस्मान अली दुनिया के सबसे धनी लोगों में थे. उनके धन दौलत के किस्से जितने ज्यादा विख्यात थे. उतने ही ज्यादा उनकी कंजूसी के बारे में कहा गया. हालांकि आंध्र प्रदेश और तेलंगान स्टेट आर्काइव्स एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट्स से मिलने वाले रिकार्ड बताते हैं कि हैदराबाद निजाम ने कई बार हिंदू मंदिरों को मोटा दान दिया. यही नहीं उन्होंने उस जमाने में पुणे से छपने वाली एक धार्मिक पत्रिका को आर्थिक मदद दी. साथ ही कई हिंदू प्रबंधन से जुड़े शिक्षा संस्थानों के लिए अपने दोनों हाथ खोल दिए.
तेलंगाना टुडे के अनुसार सातवें निजाम ने तिरुपति के प्रसिद्ध तिरुमला बालाजी मंदिर के लिए 8000 रुपया आजादी से पहले दान किया था. विकीपीडिया भी इसका उल्लेख करता है. भगवान विष्णु के प्रसिद्ध वेंकटेश्वरा मंदिर को देश के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है. यहां लोग बड़े पैमाने पर चढ़ावा चढ़ाते हैं, इसमें बहुमूल्य आभूषणों से लेकर मोटी धनराशि भी शामिल होती रही है. ये मंदिर एक जमाने में हैदराबाद रियासत में ही आता था.'
ये हैदराबाद के सबसे पुराने मंदिरों में एक है सीताराम बाग मंदिर, इसे हैदराबाद के मंगलहाट में 25 एकड़ के इलाके में बनवाया गया. अब ये हैरिटेज दर्जे में आने लगा है. कुछ दशक पहले इस मंदिर की हालत खराब थी. इसको बड़े स्तर पर जीर्णोद्धार की जरूरत थी. तब निजाम के सामने ये मामला आया. तब निजाम ने इसके पुर्ननिर्माण के लिए 50,000 रुपए दिए थे.आज भी मंदिर के रिकॉर्ड्स में इसका उल्लेख किया जाता है.दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मंदिर है श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर, जो भगवान को समर्पित है. ये भद्राचलम में गोदावरी नदी के किनारे है. इसकी मान्यता दक्षिण अयोध्या के रूप में भी है. इस भव्य मंदिर के लिए निजाम ने 29,999 रुपए का डोनेशन दिया.
तेलंगाना में यादाद्री भुवनगिरी जिले में एक मंदिर है श्री लक्ष्मी नरसिंहा मंदिर, जिसे यादगिरीगुट्टा मंदिर के नाम से भी जानते हैं. नरसिंह को विष्णु का अवतार माना जाता है. ये मंदिर हैदराबाद से करीब 120 किलोमीटर दूर है. इसे हैदराबाद के सातवें निजाम ने 82,225 रुपए दान के रूप में दिए. हैदराबाद स्थित आर्काइव एंड रिसर्च सेंटर में इससे संबंधित दस्तावेज भी मिलते हैं. तेलंगाना टुडे के साथ द हिंदू भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र कर चुका है.
पुणे में भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट हर साल तब महाभारत का प्रकाशन करता था. लेकिन इसमें जब उसे आर्थिक तौर पर दिक्कत आने लगी तो इस संस्थान कई लोगों से मदद मांगी. जो लोग इस काम में आगे आए, उसमें हैदराबाद के निजाम भी थे. उन्होंने 11 बरसों तक लगातार हर साल 1000 रुपए की इसकी आर्थिक मदद 1932 से लेकर 1943 तक की. इसके साथ ही इस संस्थान के गेस्ट हाउस के निर्माण में 50,000 हजार रुपए की मदद की. ये रिकॉर्ड्स आंध्र प्रदेश व तेलंगाना स्टेट आर्काइव्स एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में हैं. जिसमें भंडारकर इंस्टीट्यूट के सचिव की अप्लीकेशन पर निजाम ने गेस्ट हाउस के निर्माण पर पहले 25,000 रुपए दिए और इतनी ही रकम इसके बाद भी.
निजाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की लगातार मदद करते थे. वो उनका पसंदीदा संस्थान था लेकिन टैगोर का शांति निकेतन भी इसी सूची में था. उन्होंने साथ आंध्र यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को भी आर्थिक मदद की. शांति निकेतन को 1926-27 में एक लाख रुपए की आर्थिक मदद दी गई, जो बाद में बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए कर दी गई. इसी तरह रिकार्ड्स बताते हैं कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को उन्होंने 30,000 रुपए की मदद देनी की मंजूरी दी थी.
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